बॉम्बे हाई कोर्ट ने 498ए की परिभाषा में पति पत्नी या सास ससुर के बीच में छोटे मोटे विवाद, तानाकसी, झगडे को क्रूरता की श्रेणी में नहीं माना है Bombai High Court Divisional Bench comprising Justice Anuja Prabhudessai and Justice N.R. Borkar held Judgement

 


हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिनांक 09 नवम्बर 2023 को एक रिपोर्टेबल जजमेंट पास करते हुये आई.पी.सी. की धारा 498ए की परिभाषा में अंतर्हित क्रूरता शब्द का व्याख्यानकन समाज की परिस्थितियों व विधिसंगत न्यायोचित सिद्धान्तों के आधार पर किया है। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ द्वारा याचिकाकर्ता बुजुर्ग दंपति की याचिका की सुनवाई कर बुजुर्ग दंपति के खिलाफ रजिस्टर्ड एफ. आई. आर. को रद्द किया है। याचिकाकर्ता बुजुर्ग दंपति की बहू ने मलबार हिल पुलिस स्टेशन में बुजुर्ग दंपति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना व मारपीट इत्यादि का आरोप लगाते हुए एक एफ. आई. आर. दर्ज करवाई थी, जिसमें न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ द्वारा प्रकरण के भौतिक तथ्य व परिस्थितियों को मध्यनजर रखते हुए दहेज प्रताड़ना के संदर्भ में पति-पत्नी की आपस में कहासुनी व सास ससुर द्वारा तानाकसी, छोटी-मोटी नोंकझोंक को क्रूरता की श्रेणी में नहीं माना है तथा न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ द्वारा याचिकाकर्ता बुजुर्ग दंपति की याचिका को स्वीकार करते हुये तथा उच्चतम न्यायालय के लैंडमार्क जजमेंट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफ. आई. आर. को रद्द किया गया है और न्यायमूर्ति द्वारा क्रूरता शब्द का व्यापक रूप से व्याख्यांकन किया गया है।

Case Title 

रमेश सीतलदास दलाल व अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य 

(Neutral Citation: 2023:BHC-AS:34459-DB)

Judgement Date - 09/11/2023

  • updated by Suresh Kumawat, Advocate 9166435211

Comments

Popular posts from this blog

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 144 का उद्देश्य उन व्यक्तियों की भरण-पोषण की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करना है, जो स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं।

Punitive Retrenchment In absence of Departmental Regular Enquiry Violate Provision of Industrial Dispute Act

विवाह के बाहर सहमति से यौन संबंध बनाना कोई वैधानिक अपराध नहीं है